घरेलू बाजार तैयार होने से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में होने वाले 10 हजार टन झींगा को भी संजीवनी मिल जाएगी. क्योंकि यहां के झींगा उत्पादन की पहुंच एक्सपोर्ट मार्केट तक नहीं है. इन तीनों राज्यों के लिए दिल्ली-एनसीआर में एक बड़ा घरेलू बाजार तैयार हो सकता है l
पूरी तरह से एक्सपोर्ट पर निर्भर झींगा के लिए घरेलू बाजार में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. किसान को झींगा के सही दाम कैसे मिलें, ग्राहक को कम दाम में अच्छी क्वालिटी का ताजा झींगा खाने को मिले इसे लेकर चर्चाएं हो रही हैं. अब तो किसान ही नहीं झींगा उत्पादन से जुड़ीं तमाम एसोसिएशन भी घरेलू बाजार तैयार करने की मांग कर रही हैं. कोशिश है कि किसी भी तरह से तीन लाख टन झींगा को घरेलू बाजार मिल जाए. जिससे एक्सपोर्ट मार्केट में भी भारतीय झींगा की पकड़ बनी रहे.
हालांकि बीते कुछ वक्त से तेजी के साथ बढ़ रहे झींगा एक्सपोर्ट को दूसरे देशों से लगातार टक्कर मिल रही है. इसी को देखते हुए घरेलू बाजार पर ज्यादा ध्यान देने की बात हो रही है. एक्सपर्ट की मानें तो अभी झींगा का घरेलू बाजार नाम मात्र का है. जबकि मछली का घरेलू बाजार लाखों टन का है.
750 शहरों (डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर) में खाना है 20 हजार टन झींगा
झींगा एक्सपर्ट और झींगालाल चेन के संचालक डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि झींगा का घरेलू बाजार खड़ा करने के लिए कोई बहुत बड़े तामझाम की जरूरत नहीं है. हमे सिर्फ करना ये है कि हमारे देश के 750 बड़े शहरों में 30 दिन यानि एक महीने में 20 हजार टन झींगा की खपत बढ़ानी है. ये कोई बहुत मुश्किल काम भी नहीं है. क्योंकि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग नॉनवेज खाते हैं l
मछली खाने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है. मुम्बई में हर रोज 100 टन के करीब झींगा खाया जा रहा है. गुजरात के सूरत जैसे शहर में भी झींगा की बिक्री हो रही है. अगर पीएम मत्स्य योजना के तहत ही 25 से 50 करोड़ रुपये खर्च कर किसी फिल्मी हीरो और क्रिक्रेटर से झींगा खाने का विज्ञापन करा दिया जाए तो बड़ी ही आसानी से लोग झींगा की ओर आने लगेंगे.
अभी बाजार में किस झींगा का कितना है रेट
झींगा के डॉक्टर और झींगालाल चेन के संचालक डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि अभी रिटेल बाजार में 10 ग्राम का झींगा 300 रुपये किलो, 15 ग्राम का 325 रुपये, 20 ग्राम का 350, 25 ग्राम का 400 और 30 ग्राम का झींगा 550 रुपये किलो तक बिक रहा है.
160 लाख टन मछली खा रहे हैं, तीन लाख टन झींगा नहीं
डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि तीन लाख टन झींगा को हमारे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में ग्राहक नहीं मिल पाते हैं. हमारे देश में करीब 160 लाख टन मछली खाई जाती है. दो हजार रुपये किलों तक की मछली भी खूब बिकती है. जबकि झींगा तो सिर्फ 350 रुपये किलो है. दो सौ से ढाई सौ रुपये किलो का रेड मीट खाया जा रहा है. जिसमे करीब 15 फीसद प्रोटीन है, जबकि झींगा में 24 फीसद प्रोटीन होता है l
ऐसे में अगर हमारे देश में तीन से चार लाख टन झींगा की भी खपत हो जाए तो भारत झींगा के मामले में विश्व में नंबर वन होगा. जरूरत बस इतनी भर है कि अगर देश के दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, चंडीगढ़, बेंग्लोर आदि शहरों में भी झींगा का प्रचार किया जाए तो इसकी खपत बढ़ सकती है. यूपी और राजस्थान तो विदेशी पर्यटको के मामले में बहुत अमीर हैं. वहां तो और भी ज्यादा संभावनाएं हैं. लेकिन बड़ी ही हैरत की बात है कि तीन लाख टन झींगा ग्राहक तलाशता रहता है l
-Source: Kisan Tak